मुहब्बत में आज फिर से हमें तबाह कर लो इजाजत है आज फिर से वही गुनाह कर लो निभायेंगे साथ आपका, हमसफर कर लो चाहे अपनी मंजिल से हमें गुमराह कर लो शिद्दत से मिली है मुहब्बत, यकी कर लो अब तो कमबख्त दिल का इस्लाह कर लो आशकी के इम्तिहान चाहे बेइंतहा कर लो वजूद की हमारे थोडी तो परवाह कर लो फासले कम हो जाए ऐसा इंतजाम कर लो मंजूर है सौदा हमें जनाब, हां निकाह कर लो जयश्री अंबासकर २३ मे २०२४